अगर खुद को साबित करोगी उपयोगी
साइकिल मिलेगी
अगर सब्ज़ी-तरकारी खरीदते हुए घर आओगी
साइकिल मिलेगी
अगर पापा की मर्ज़ी से शादी करोगी
साइकिल मिलेगी
अगर अपनी जाति में शादी करोगी
साइकिल मिलेगी
अगर अपनी जाति के बच्चे पैदा करोगी
साइकिल मिलेगी
अगर सीधी लाइन में चलोगी
अगर लाइन तोड़ी तो छीन ली जाएगी साइकिल
http://khabar.ndtv.com/news/chunaavi-blogs/ravish-kumar-if-there-were-no-cycles-bihar-would-not-have-been-the-same-1232120
See साइकिल for the first part of this poem.
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Asha Singh recently submitted her PhD thesis at TISS, Mumbai on Bhojpuri Folksongs and Women. Before that she was a Hindi journalist in Bhopal. She belongs to Bhojpur district in Bihar.